उपला टकनोर के कई गांवों में मनाया हारदूध मेला,कोरोना महामारी के कारण फीकी रही मेले की रंगत।
उत्तरकाशी
उपला टकनोर के भंगेली,सुक्की,झाला,धराली,मुखवा आदि गांवों में समेश्वर देवता का प्रसिद्ध हारदूध मेला मनाया गया कोरोना महामारी के कारण फीकी रही मेले की रौनक।
विधित हो विकासखण्ड भटवाड़ी के टकनोर क्षेत्र में हर वर्ष 20 गते श्रावण महीने में सदियों से समेश्वर देवता का हारदूध मेला मनाए जाने की परंपरा है। मंगलवार को दिन में और रात में यह मेला मनाया गया इस मेले में गौपालको के द्वारा समेश्वर देवता को अपने मवेशियों का दूध चढ़ाया जाता है इसके अलावा उच्च हिमालयी पहाड़ियों से ब्रम्ह कमल,लेसर,जयाण आदि प्राकृतिक पुष्पों से समेश्वर देवता की पूजा की परम्परा है गांव के पंचायती चौक पर इन हिमालयी पुष्पों को फैलाया जाता है जिनको समेश्वर देवता की डोली के द्वारा स्पर्श करने के पश्चात प्रसाद के रूप में रखा जाता है और उसके बाद समेश्वर देवता के द्वारा कफवा रासो लगाया जाता है। बताया जाता है कि कफवा रासो लगाने से समेश्वर देवता की शक्ति और बढ़ती है। समेश्वर देवता का मानव पशुवां देव डोली को कंधे पर लिए नंगे पैर लोहे के तेज धार गंडासो के ऊपर चलकर ग्रामीणों के द्वारा पूछे गए प्रशन्न, मनोतियो का उत्तर देता है यह दृश्य अपने आप मे हैरतंगेज करने वाला होता है। किसी गांव में यह मेला दिन को मनाया जाता और कहि रात को गांव में आये मेहमानों को दूध,दही के साथ हल्वा पूरी खिलाई जाती है और गांव के सभी स्त्री पुरुष अपनी पारम्परिक वेशभूषा में रासो तांदी नृत्य कर समेश्वर देवता से गांव की सुख समृद्धि के मंगल गीत गाकर मेले का आनंद उठाते हैं
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