समेश्वर देवता को समर्पित फूल्यार मेले की उत्तरकाशी जिले के गाँव गाँव मे धूम

राजेश रतूड़ी 
उत्तरकाशी : उत्तरकाशी जिले में धान की रोपाई के बाद अच्छी फसल व गाँव की खुशहाली का प्रतीक माने जाने वाले  फूल्यार मेले की इन दिनों गाँव गाँव मे धूम मची हुई है हर गाँव मे यह मेला  अपने अपने अंदाज में मनाया जाता है।
जिला मुख्यालय के नजदीक नेताला गाँव में फूल्यार मेला हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। नेताला गाँव मे मेला देखने के लिए आसपास के गांवों से सैकड़ो की संख्या में लोग पहुँचे।
आपको बतादे फूल्यार मेले में नेताला गाँव के इष्ट नाग देवता की और से ऊँचे हिमालयी क्षेत्रो से (ब्रम्ह कमल,ज्याण, लेसर,भूत केस) आदि दुर्लभ प्रजाति के पुष्प लाने के लिए कुछ ग्रामीणों को चुना जाता है जिन्हें "फूल्यार" कहा जाता है। उच्च हिमालयी क्षेत्रो से फूल्यारों के वापस सकुशल गाँव पहुँचने पर देवता की डोली उनका स्वागत करती है। और जंगल मे उनके साथ हुई घटनाओ के चिन्ह उन्हें बताती है। जिसको सुनकर सभी लोग दांतो तले उँगली दबाते है। यही कारण है कि ग्रामीणों की देब डोली पर आस्था और भी अटूट हो जाती है। फूल्यारों के ऊंचे हिमालयी क्षेत्रों से लाये दुर्लभ पुष्पो को देवचौक में बिछाया जाता है । जिस पर नाग देवता की डोली और समेश्वर देवता का मानव पशुवा चलता है। तथा प्रसाद के रूप में इन पुष्पो को सभी ग्रामीणों में बांटा जाता है। व खुश होकर समेश्वर देवता का मानव पशुवा तेज धार ग्ंन्डासौ (डांगरों) पर नंगे पैर चलकर नृत्य कर ग्रामीणों को अपना आशीर्वाद देता है तथा ग्रामीणों के प्रश्ननो के जवाब देकर खुशहाली के उपाय भी बताता है। मेले के अंत मे गाँव के सभी स्त्री पुरुष अपने पारम्परिक वाद्य यंत्रों ढोल दमाऊं व रणसिंगे की थाप पर रासो तांदी नृत्य कर गाँव की खुशहाली के मंगल गीत गाकर समेश्वर व नाग देवता की वंदना करते है।

 

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