साप्ताहिक समाचार पत्र "गढ़ रैबार" के 50 वर्ष पूरे होने पर मनाया स्वर्ण जयंती समारोह, साहित्य व पत्रकारिता जगत से जुड़े लोगों ने की शिरकत
राजेश रतूड़ी
देहरादून : देहरादून के बृंदा गार्डन में "गढ़ रैबार" साप्ताहिक समाचार पत्र के 50 वर्ष कुशल संपादन होने को लेकर स्वर्ण जयंती मनाई गई। जिसमें साहित्य जगत व पत्रकारिता जगत के लोगो ने शिरकत किया।
आपको बतादे गढ़ रैबार समाचार पत्र के संपादक सुरेंद्र भट्ट ने समाचार पत्र के शुरू होने से लेकर आजतक के इतिहास पर आधारित दस्तावेज के रूप में स्वर्ण जयंती के अवसर पर पुस्तिका का विमोचन किया। विमोचन समारोह की अध्यक्षता उत्तराखंड के प्रसिद्ध साहित्यकार शक्ति प्रसाद सकलानी ने की कार्यक्रम में बतोर मुख्यातिथि पद्मश्री से सम्मानित राष्ट्र कवि व लेखक लीलाधर जगूड़ी रहे। विशिष्ट अतिथि विधायक बृज भूषण गैरोला, कवि अतुल शर्मा,उत्तराखंड की लोक गायिका रेखा धस्माना ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम की शुरुआत लोक गायिका रेखा धसमाना ने गणेश वंदना से किया कार्यक्रम का संचालन डीपी उनियाल ने किया।
कार्यक्रम में कवि अतुल शर्मा ने अपनी कविताओं से शुरुआत कर कार्यक्रम में समा बांधा।। ,विधायक बृज भूषण गैरोला ने गढ़ रैबार के स्वर्ण जयंती पर सभी को शुभकामनाएं दी। आईएएस चन्द्र सिंह ने अपने स्मवोधन मे कहा कि कार्यक्रम के आयोजन व लिखित दस्तावेज को देखकर उन्हें ऐसा लगा कि जैसे उत्तराखंड की तीर्थ यात्रा कर ली हो। लेखक लीलाधर जगूड़ी ने भी गढ़ रैबार के 50 साल सफल सम्पादन के पूरे होने पर शुभकामनाएं दी तथा नसीयत दी कि अगले स्वर्ण जयंती अंक तक इसे एक नया स्वरूप दे। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता ब्यवसाय नही बल्कि मिशन है। संपादक सुरेंद्र भट्ट ने कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों का कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए धन्यवाद दिया तथा अपने वक्तव्यों में कहा कि मेरे ऊपर भगवान विश्वनाथ की कृपा है मेरा दूसरा कोई भी जन्म हो तो उत्तरकाशी में ही हो। साहित्यकार शक्ति प्रसाद सकलानी ने कार्यक्रम के समापन की घोषणा करते हुए नेपोलियन की बारे में बताते हुए अनुभव लेने को कहा । उन्होंने कहा कि दुनिया मे जिसने जन्म लिया वे सभी मरते हैं केवल शब्द नही मरते है। श्रीकृष्ण ने गीता में कहे शब्द आज भी जिंदा है और जबतक दुनिया रहेगी जिंदा रहेंगे इस तरह गढ़ रैबार दस्तावेज में लिखे शब्द हमेशा जिंदा रहेंगे।
कार्यक्रम में योगम्बर सिंह बर्तवाल,डॉ सुरेंद्र मेहरा,डॉ जगदीश बिजल्वाण,रमेश शास्त्री,कृष्णा जोशी,राम कृष्ण भट्ट,राकेश उनियाल,पुष्पलता ममगाई,उतरा पंत,बीना उपाध्यक्ष,शांति ठाकुर, के अलावा सैकड़ो की संख्या में साहित्य व पत्रकारिता जगत के लोग शामिल रहे।
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