मंजू की संघर्षो भरी कहानी ने उसे बना दिया है महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत

राजेश रतूड़ी
देहरादून :  कहते है जहां चाह है वहां राह है ऐसी ही कुछ कहानी है  रुड़की शहर में काम करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकत्री मंजू की जो  खुद तो बनी ही पर अपने बच्चो को इतने लायक बनाया कि आज उसके तीनो बेटे अलग अलग जगहों पर नोकरियो में काम करके अपनी माँ का नाम रोशन कर रहे हैं।
           आपको बतादे मूल रूप से पौड़ी जिले के लेंसिडाउन की रहने वाली मंजू के पिता फरीदाबाद में प्राइबेट कम्पनी में काम करते थे उनके साथ ही काम करने वाले एक लड़के ने मंजू को पसंद कर लिया था।  17 साल की उम्र में ही  मंजू के पिता ने शादी कर उसका घर बसा लिया था। शादी के बाद मंजू के तीन बेटे हुए मंजू का दाम्पत्य जीवन खुशहाल और सुखमय कट रहा था अचानक उसके पति की मौत हो गयी जिससे मंजू के जीवन मे एक जलजला आ गया था। उसके आगे अपना तथा अपने तीन बच्चों के लालन पालन व भरण पोषण व अन्य खर्चो को उठाने की जिम्मेदारी कैसे पूरी की जाय यह समस्या खड़ी हो गयी थी। धीरे धीरे दिन बीत रहे थे मंजू के आगे संकट गहरा होता जा रहा था। उसको कुछ सूझ नही रहा था कि क्या किया जाय। कहते है "आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है" अब स्थिति यह थी कि उसे समाज के सामने खुद को भी बेदाग खड़ा रखना और तीन बच्चों की पढ़ाई लिखाई और अन्य खर्चे कैसे उठे यह चुनोती के रूप में उसके सामने था।                  आखिर हिम्मत कर मंजू ने खुद की 
संघर्षों की इबारत लिखनी शुरू कर दी और शहर के एक प्राइबेट स्कूल में नोकरी कर ली। वर्ष 2012 में आंगनबाड़ी 
सहायिका पद की विज्ञप्ति निकली तो मंजू ने भी आंगनबाड़ी सहायिका पद के लिए अप्लाई किया और आंगनवाड़ी सहायिका पद पर उसका चयन हो गया । आंगनबाड़ी में चयन होने पर उसकी आर्थिक स्थिति में कुछ सुधार तो हुआ पर आर्थिक बोझ कम नही हुआ था धीरे धीरे बच्चे भी बड़े हो रहे थे और पढ़ाई के खर्चे भी बढ़ रहे थे जब तीनो बच्चो की पढ़ाई का खर्चा उठाना मुश्किल होता देख बड़े बेटे ने भी दुकानों में काम कर अपनी माँ मंजू का हाथ बंटाना शुरू किया। धीरे धीरे समय आगे बढ़ता गया और बच्चों की पढ़ाई और कोर्स भी पूरे होते गए वर्तमान में मंजू का एक बेटा जर्मनी में नोकरी करता है दूसरा गुडगांव में प्राइबेट कम्पनी में और तीसरा बेटा अपने ही शहर में  प्राइबेट नोकरी करता है। आज वर्तमान में उनके पास रहने के लिए अपना घर है और पूरा परिवार सुखी सुखी जीवन यापन कर रहा है। मंजू के संघर्षों के कारण उनकी रिस्तेदारी में भी लोग उसका लोहा मानते हैं। मंजू की संघर्ष भरी कहानी ने उसको महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बना दिया है।

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