सिरोर गाँव की महिलाएं बना रही है जैविक नहाने का साबुन व शेम्पू ,आत्मनिर्भर बनने का है सपना

राजेश रतूडी
उत्तरकाशी : अगर आप नहाने और बाल धोने में रसायनिक साबुन और शेम्पू के इस्तेमाल से परेशान है और निजात पाना चाहते हो तो  भटवाड़ी विकासखंड के सिरोर गाँव की महिलाओं से सम्पर्क कर सकते हो इनके द्वारा जैविक नहाने का साबुन व शेम्पू बनाया जा रहा है।
                आत्म निर्भर बनने के उद्देश्यों को लेकर सिरोर गाँव की  महिलाओं ने विभिन्न घरेलू उपयोग में आनेवाले  नहानेे के जैविक साबुन ,शैम्पू आदि चीजे बनाने का परीक्षण लिया किन्तु वर्तमान समय मे इन्हें उत्पादों की बिक्री व सही प्रवंधन न होने से ये सभी मायूस है। जबकि इनके द्वारा केमिकल का कोई इस्तेमाल न किए जाने पर भी महिलाओं के द्वारा बनाए गए उत्पादों को अच्छी गुणवत्ता देखने को मिल रही है।
        बड़े उत्साह के साथ सिरोर गाँव की सोनिका ,मंजू ,बबीता ,ममता ,सविता ,करिश्मा ,बबिता रावत ,वंदना ,संगीता आदि महिलाओं ने घरेलू उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण लिया था ताकि प्रशिक्षण का लाभ लेकर आत्मनिर्भर बनेगी । इनके द्वारा परीक्षण लेकर काम भी शुरू किया जा चुका है ये महिलाएं अपने मग्सद मे काफी हद तक कामयाब भी हो चुकी है। सिरोर गाँव की सोनिका मराठा ने बताया कि गाँव की 25 महिलाओं ने नहाने का साबुन , शैम्पु  (जैविक) बनाने का प्रशिक्षण लिया था जिनमे से केवल आठ महिलाओं ने काम शुरू किया है उनका कहना है कि वर्तमान समय मे उत्पादों को बनाने में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल महंगा पड़ रहा है जिस कारण उत्पादों को बनाने में लागत ज्यादा आ रही है जिसके चलते उत्पादों का सही मूल्य निधारण करने में दिक्कतें आ रही है। इनका कहना है कि यदि कोई सरकारी या गैर स्तकारी संस्था इन्हें उत्पादों में इस्तेमाल होने वाले कच्चा माल कम दामो में उप्लवद करवाते तो ये अपने काम को आगे बढ़ाकर और बेहतर ढंग से कर सकती है।
          वही जब हमने महिलाओं की मदद करने को लेकर बीडीओ डॉ अमित ममगाई से पूछा तो उन्होंने बताया कि एसएजी के माध्यम से भटवाड़ी ब्लॉक के अंतर्गत अलग अलग गांवों में प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहे है सिरोर गाँव की इन महिलाओं को भी एसएजी के माध्यम से गुणवत्ता बढाने व बिक्री को लेकर परीक्षण दिया जाएगा तथा स्थानीय स्तर पर बाजार उप्लवद करवाया जाएगा।






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