बरसात में कीचड़ में तब्दील मौसम साफ होने पर धूल उड़ती है नैनिहालो के विद्यालय प्रांगण में

राजेश रतूड़ी
उत्तरकाशी  : उत्तरकाशी शहर के वार्ड न० 4 में स्थित गांधी विद्या मन्दिर का प्रांगण बरसात होती है तो कीचड़ में तब्दील हो जाता है व मौसम साफ होने पर धूल उड़ने लगती है।आखिर नैनिहाल करे तो क्या करे हुक्मरानों की नहीं है कोई नजर सुलगता सवाल।
          वर्ष 1968 में खुले गांधी विद्या मन्दिर की दशा और दिशा में तब से वर्तमान में कोई ज्यादा फ़र्क नहीं पड़ा है बदली है तो इसमें काम करने। वाले ठेकेदारों की तकदीर जिनके द्वारा कई बार सरकारी योजनाओं का दुधारू गाय की तरह दोहन कर विद्यालय की स्थिति को बदहाल किया है आज भी जस की तस है ।
        आपको बताते चले यहां पर जूनियर वर्ग में 42 छात्र छात्राएं है तथा प्राथिक विद्यालय में 35 बच्चे है विद्यालय के सामने बच्चो के खेलने के लिए सीमेंटेड मैदान है जो कि बरसात में कीचड़ में तब्दील हो जाता है तथा मौसम साफ होने पर सीमेंटेड फर्श से रेत और बजरी उखड़ने से धूल उड़ती है जिससे बच्चो को धूल जनित बीमारियों का खतरा होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। विद्यालय का रख रखाव का जिम्मा बाड़ाहाट पालिका के पास है।   ऐसा भी नहीं है कि पालिका ने विद्यालय में फर्श की मरम्मत नहीं करवाई हो काम की हल्की गुणवत्ता के कारण प्रांगण में सीमेंट जगह जगह से उखड़ रहा है और प्रांगण में जगह जगह पर सीमेंट उखड़ने से गद्दे बन गए है। जिनमे बरसात के समय इन गद्दों में पानी इकट्ठा होकर  कीचड़ बन जाता है। इस विद्यालय में पड़ने वाले बच्चे अधिकतर गरीबों और मजदूरों के है। गांधी विद्या मन्दिर जिले का सबसे पुराना विद्यालय होने के साथ साथ डीएम बंगले से महज 200 मीटर की दूरी पर स्थित है बावजूद यह विद्यालय मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। क्या आनेवाले समय में कोई इस विद्यालय के प्रांगण की सुध लेगा या यूं ही यहां के बच्चो को  गद्दो में तब्दील प्रांगण में खेलने को मजबूत होना पड़ेगा यह तो भविष्य के गर्व में छिपा है फिलहाल नैनिहलो को गद्दों में त्वदील प्रांगण में खेलना पड़ रहा है।







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